सम्राट अशोक का साम्राज्य
विश्व इतिहास में महान सम्राट "देवानां प्रिय प्रियदर्शी" राजा अशोक प्रथम मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त के पौत्र एवं द्वितीय मौर्य सम्राट बिंदुसार के पुत्र थे एक महान राजा तथा धर्म प्रचारक के रूप में सम्राट अशोक भारत इतिहास को गौरवान्वित किए हैं तत सहित मानव जाति के हित के लिए उनकी कार्य उन्हें चिरस्मरणीय कीया हैं।
विश्व इतिहास में महान सम्राट "देवानां प्रिय प्रियदर्शी" राजा अशोक प्रथम मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त के पौत्र एवं द्वितीय मौर्य सम्राट बिंदुसार के पुत्र थे एक महान राजा तथा धर्म प्रचारक के रूप में सम्राट अशोक भारत इतिहास को गौरवान्वित किए हैं तत सहित मानव जाति के हित के लिए उनकी कार्य उन्हें चिरस्मरणीय कीया हैं।
अशोक से पहले मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त एवं बिंदुसार ने अपने साम्राज्य का विस्तार किये थे एक विशाल साम्राज्य सुसंगठित साम्राज्य का स्थापन भी किए थे
सिहासन प्राप्ति के 4 साल के बाद अशोक ने अपनी राज अभिषेक उत्सव पालन किये तत्कालीन समय में मौर्य साम्राज्य की सीमा काबुल उपत्यका के पास से होकर ब्रम्हपुत्र नदी तक एवं हिमालय पास से गोदावरी-कृष्णा नदी एवं महीशुर तक प्रसारित था।
उत्तर-पश्चिम दिशा में मोर्य साम्राज्य की सीमा सीरिया एवं पश्चिम एशिया में ग्रीक राज्य को स्पर्श करता था पश्चिम में सीमा अरब सागर तक और उत्तर में काश्मीर एवं नेपाल मौर्य सम्राज्य की अधिकृत हुआ करता था
उत्तर-पश्चिम दिशा में मोर्य साम्राज्य की सीमा सीरिया एवं पश्चिम एशिया में ग्रीक राज्य को स्पर्श करता था पश्चिम में सीमा अरब सागर तक और उत्तर में काश्मीर एवं नेपाल मौर्य सम्राज्य की अधिकृत हुआ करता था
अशोक के साम्राज्य के बारे में शीलालेखें से पता चलता है उन में से हजारी जिले के मानसेरा डेराडुन के कालीस नेपाल की तराई में रुम्मिन देई एवं उत्तर बिहार के रामपूर्व उन जगह पे मौजूद शीलालेखें से अशोक के साम्राज्य के बारे में जानकारी मीलता है
अन्य एक उपादान से पता चलता है की अशोक का साम्राज्य उत्तर-बंगा एवं तथा पूर्व-बंगो तक बिस्तर था अशोक अशोक के साम्राज्य एक सर्व भारतिय साम्राज्य रूप में रहता था केवल चोल' पांड्य'सत्यपुत्र एवं केरलपुत्र मौर्य साम्राज्य की सीमा के बाहर थे मतलब यह सब राज्य स्वतंत्र राज्य था
सम्राट अशोक के राज्य की सीमा बहुत व्यापक तथा बहत विस्तार था पर एक विशिष्ट राज्य जो कि मौर्य साम्राज्य की अधिकृत नहीं था जो कि मौर्य साम्राज्य की केंद्रीस्थल मगध के पास में एक राज्य था कॉलिंग राज्य जो की वर्तमान की ओडिशा प्रदेश है मेगस्थनीज़ के विवरण के अनुसार चंद्रगुप्त के समय में कलिंग एक स्वतंत्र राज्य था।
अशोक अपने राज की 12वीं एवं अभिषेक की अष्टम वर्षों में ईसापूर्व 261 में अशोक कॉलिंग पर आक्रमण किए थे
फलस्वरुप एक भीषण युद्ध हुआ जो की अशोक का जीवन की आखिरी युद्ध था कालिंग युद्ध की नारा हत्या रक्तपात प्राप्त पाता भैया बहुत अशोक की मन को विचलित किया और उन्होंने युद्ध ना करने की संकल्प लिया
और अपना सारा जीवन सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार शांति अहिंसा त्याग धर्म मानवता के कल्याण के लिए अपने जीवन को उत्सर्ग कर दिया
अशोक अपने राज की 12वीं एवं अभिषेक की अष्टम वर्षों में ईसापूर्व 261 में अशोक कॉलिंग पर आक्रमण किए थे
फलस्वरुप एक भीषण युद्ध हुआ जो की अशोक का जीवन की आखिरी युद्ध था कालिंग युद्ध की नारा हत्या रक्तपात प्राप्त पाता भैया बहुत अशोक की मन को विचलित किया और उन्होंने युद्ध ना करने की संकल्प लिया
और अपना सारा जीवन सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार शांति अहिंसा त्याग धर्म मानवता के कल्याण के लिए अपने जीवन को उत्सर्ग कर दिया
सिंहासन सिहासन के द्वादस वर्ष में एवं राज्य अभिषेक की अष्टम वर्ष के तक अशोक भारतीय साम्राज्य की सर्व शक्तिमान सम्राट के रूप में शासन करते थे
प्रजाओं को ग्रक तथा विदेशी आक्रमण का कोई भय नहीं था सुख में प्रजा अपने जीवन निर्वाह करते थे
प्रजाओं को ग्रक तथा विदेशी आक्रमण का कोई भय नहीं था सुख में प्रजा अपने जीवन निर्वाह करते थे
सम्राट अशोक अपने राज्य की प्रथम या 12वीं वर्ष को अशोक अपनी साम्राज्य वृद्धि करने लगे उसी समय के बीच उनका सामरिक शक्ति एवं राज सर्वश्रेष्ठ सीमा में पहुंचा था अशोक शक्ति एवं समृद्धि में सर्वश्रेष्ठ हुआ करते थे उसी समय उन्होंने कॉलिंग अधिकार के लिए संकल्प लीए परिणाम स्वरुप भीषण युद्ध हुआ जो इतिहास में कालिंग युद्ध के नाम से प्रख्यात है यह युद्ध आशिक के जीवन का आखिरी युद्ध था क्योंकि कलिंग युद्ध के बाद सम्राट अशोक संपूर्ण रूप से युद्ध का त्यग कर दीए एक शांतिदूत बनकर सत्य और अहि
अशोक को अपने साम्राज्य की वृद्धि के लिए ज्यादा युद्ध करना नहीं पड़ा क्योंकि पहले से मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त और बिंदुसार ने अपने साम्राज्य के बिस्तर किए थे और उसे सुसंगठित शासन भी करते थे इसलिए सम्राट अशोक का साम्राज्य विस्तार-विशाल था अशोक ने अपनी समग्र जीवनकाल में प्रजा हीत कर कार्य एक सुसंगठित शासन व्यवस्था एवं उन्हें एक महान राजा के रूप में इतिहास में परिचित करता है