विश्वइतिहास में सम्राट अशोक  का स्थान मनुष्य जाति के महान नरपत्तियों में से सर्व प्रथम स्थान दिया गया है
 एक राजा एवं एक धर्म प्रचारक और सम्राट के रूप में अशोक सर्वश्रेष्ठ हैं
सम्राट अशोक का जन्म ईसा पूर्व  304 में हुआ था अशोक सम्राट बिंदुसार के पुत्र और महाराज चंद्रगुप्त  के पौत्र थे
सम्राट अशोक के विषय में शिलालेख  और  बुद्ध साहित्य और लोककथा से   अनेक  बात सामने  आती है पर इतिहास सिर्फ तथ्यों पर आधारित होता है इतिहास के दृष्टिकोण से देखा जाए तो सम्राट अशोक समग्र जीवनकाल को विशेष रुप में तीनो भाग से विभक्त किया गया है उसी हिसाब से इतिहास में उनको एक महान राजा के रूप में स्थान दिया गया है

                                                                           
यथा एक राजा के रूप में और एक धर्म प्रचारक के रूप में और मानव और मानव सभ्यता को सम्राट अशोक के द्वारा दिए हुए दान

एक राजा के रूप में अशोक

मानबीकता कर्तव्य को अपने शासन दंड मैं धारण करने वाले सम्राट अशोक एक महान राजा थे सम्राट अशोक खूद  को अपनी प्रजा के पिता के रूप में और  संतान की तरह मानने वाले पहले राजा थे सम्राट अशोक कहते थे समस्त मनुष्य मेरे संतान है

यह बात उन की समग्र शासनकाल में और व्यक्तिगत जीवन में भी अच्छी तरह से भलीभांति दिखाई देता है सम्राट अशोक अपने शासन कार्य को एक  कर्तव्य तरह मानते थे 
अशोक अपनी प्रजायों की हित के लिए  सुख सुविधा के लिए अनेक महान कार्य किए हैं अशोक कहते थे विश्व हित की आलवा और कोई मोहन कार्य हो नहीं सकता
अशोक के शासनकाल में अपनी प्रजा को खुद की संतान की तरह पालन किया   
                                     
 एक धर्म प्रचारक के रूप में सम्राट अशोक

 कलिंग युद्ध  कि भैया वाह और  चारों ओर जलती हुई चिता   सेना के रक्त से लाल हुई दया नदी को देखकर  सम्राट अशोक की जीवन में अनेक परिवर्तन आया उन्होंने संपूर्ण रूप से युद्ध का त्याग कर दिया  बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया और मानवता के कल्याण के अैर अपने संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया


इतिहास में ऐसे भी अनेक राजाओं का उदाहरण है जो अपने प्रजाओं को अपनी मनपसंद धर्म धारण करने की लिए मजबूर करते हैं लेकिन अशोक सर्व धर्म का सम्मान करते थे अशोक के बौद्ध धर्म के माध्यम से लोगों में शांति अहिंसा दया क्षमा और सामाजिक एकता लाना चाहते थे
धर्म प्रचार के लिए जो व्यक्तिगत स्वार्थ त्याग किए हैं एक वास्तविक महान त्याग है

अपने से अधिक प्रिय जस्ट पुत्र महेंद्र और कन्या संघमित्रा को सहांल और ब्राह्मदेश में बौद्ध धर्म प्रचार प्रसार के लिए अजीवन बुद्ध भीखु बनाकर प्रेरित किया एेसी व्यक्तिगत  त्याग करना शायद इतिहास में कहीं उदाहरण होगा।

सम्राट अशोक एक धर्म प्रचारक के रूप में उनको विश्व के अनेक राजाओं के साथ  तुलना की गई है जैसे रोमान सम्राट कोंसटेंटाइन एवं मध्ययुगिय राजा चार्लामेन  और प्रख्यात क्रिस्ट धर्म  प्रचारक सेंटपॉल

 
मानव सभ्यता को सम्राट अशोक का दान

सम्राट अशोक एक राजा थे सारे राजाओं की जैसा उनके साम्राज्य राजनीतिक व्यवस्था समय की अंधकार मेें खो गया  लेकिन उनके आदर्श बीचारों और महानता भविष्य के लिए रह गया
कलिंग युद्ध के बाद चिरदिन के लिए हिंसा परित्याग करके अशोक विश्व इतिहास में सर्वप्रथम  युद्ध विरोधी शांति कामी राजा के रूप में परिचीत हुए अशोक का शांतिबाद स्वदेशी और विदेश में प्रचार करते हुए सर्वप्रथम अंतर्जातीय शांतिवादी के रूप म  जश ख्यातिलाभ कीए है
हींसा की भैयाभहत और युद्ध की परिणाम विरोध में आशेक प्रतिक्रिया प्रकाश किए हैं उनकी प्रतिध्वनी चिरस्थाई होकर रह गई विश्व में  शांति स्थापन राजनीति सार्वजनिता और विश्व कुटुंबता के लिए अशोक का कार्य  इतिहास में सर्वप्रथम उदाहरण है
सम्राट अशोक के समय में बहुत से राज्य एसे भी था जहां सिर्फ अंधविश्वास और कुसंस्कार मैं घेरा हुआ था 
उन राज्यों में  अशोक ने बौद्ध धर्म प्रचार कर के वहां एक नूतन सभ्यता का आरंभ की जैसे सिंहल और ब्राह्मदेश


सम्राट अशोक विश्व में एसे पहले राजा थे जो समग्र विश्व में शांति अहिंसा स्थापन करना चाहते थे और मनुष्य मनुष्य के बीच शांति भातृत्व भाव प्रतिष्ठा  की लिए उन्होंने अनेक  कार्य किए हैं जो सम्राट अशोक को इतिहास में महान Ashoka The Great बनाता है