मार्टिन लूथर एक धर्मशास्त्री विश्वविद्यालय में प्राध्यापक जर्मन चर्च के पादरी थे   मार्टिन लूथर विशेषत प्रोटेस्टाड मतबाद की लीए जाने जाते है तत्कालीन समय में क्रिस्टधर्म  मैं चल रहा भ्रष्टाचार अन्याय तथा पोप एवं पादरीयों के द्वारा कैथोलिक चर्च में धर्म के नाम पर चल रहा भ्रष्टाचार के खिलाफ  मार्टिन लूथर के द्वारा चलाए गए आंदोलन को प्रोटेस्टाड आंदोलन तथा लूथरीय मतबाद लूथर जाने जाते है।

मार्टिन लूथर का जन्म 1823 में जर्मनी के शकुनि ग्राम मो मैं एक कृषक परिवार में हुआ था लूथर प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा समाप्त करने के बाद पीता जी के पिताजी के इच्छा अनुसार ईरफर्ट विश्वविद्यालय में धर्म तत्व और आईनी अध्ययन किए एवं  कैथोलिक गिरजा में पादरी बने।

मार्टिन लूथर अनेक धर्म पुस्तक एवं बाइबल को गंभीर अध्ययन करने के बाद उन्होंने 95 धर्मियों सूत्र का पुनीत किए थे जिन्हें प्रोटेस्टान्ट मतवाद की रूप में जाना जाता है उन 95 धर्मियों सूत्र की सारांश कुछ इस तरह है।
1: निर्वाण प्राप्ति की लिए लोगों को दिखाने के लिए उपवास अनुताप एवं तीर्थयात्रा आदि करना बेकार है।
2:लूथर विशेष रूप से क्षमापत्र बेचना को विरोध करते थे क्योंकि वह कहते थे क्षमापत्र खरीदने से अपने पाप कर्मों से मुक्ति नहीं मिलती बल्कि विश्वास एक ऐसा सेतु है यदि एक इंसान अपने ईश्वर उनके ऊपर भरोसा एवं अखंड विश्वास रखता है तो उसका अनेक दोष होने के बावजूद भी ईश्वर उसकी रक्षा करते हैं।

3: क्रिस्टधर्म में दिख्कीत होने के बाद प्रत्येक एक एक पादरी हो जाता हैं इसलिए पादरी तथा धर्मयाचकओं को भी विवाह के लिए अनुमति मिलना चाहिए।

4:  लुथर आनेक प्रकार के धर्मय उत्सव पालन करने के लिए विरोध करते थे लुथर कहते थे जन्म पश्चाताप एवं मृत्यु जैसा कुछ उत्सव पालन करना उचित है।

5:लुथर के मतानुसार ईश्वर  पृथ्वी एवं स्वर्गों को समान रुप से प्यार करते हैं इसीलिए निर्माण के लिए जिंदगी से मुक्ति ढूंढना उचित नहीं है मानव सदा अपने कर्तव्य को  निष्ठा के साथ पालन करता है तो मनुष्य सांसारिक जीवनयापन में भी निर्वाण को प्राप्त कर सकता है।

6:लुथर धर्मय क्षमता को विरोध करते थे एवं जातीयतावाद गिरजा स्थापन में विश्वास रखते थे  धर्मक्षेत्र में पोप खुद के नियम से अपेक्षा बाइबल में लिखित नियम प्रचलित करना चाहते थे।
7:लुथर उनके मतवाद को देश में शांति  एवं सौहार्दपूर्ण परिवेश में प्रसार करना चाहते थे।

मार्टिन लूथर की धाम संस्कार आंदोलन की वजह से वह प्रथा उनकी और निगम के द्वारा हो रहा है भ्रष्टाचार का ओपसन हुआ संस्कृत प्रोटेस्टेंट धर्म का जन्म हुआ।