भास्कोडिगामा का भारत यात्रा
भास्कोडिगामा का जन्म 1460 में पुर्तगाल के एक संभ्रांत परिवार में हुआ था उनके पिता पुर्तगाल के राज दरबार में एक पारिषद थे भास्कोडिगामा पुर्तगाल के सम्राट भास्कोडिगामा की नौ चाइना को देखकर संवाद के अनुमोदन 1497 में राजधानी लिस्बन  से चार समुद्री जहाजों को लेकर भारत की ओर समुद्री पथ अविष्कार करने के लिए निकल पड़े।
जब भास्कोडिगामा की जहाजों ने उत्तमाशा अंतरीप में पहुंचे उनकी जहाजों को सामूहिक तूफान का सामना करना पड़ा और उनकी जहाजों इधर-उधर घूमने लगे उत्तमाशा अंतरीप के पाचं चक्कर लगाकर अंत में सामूहिक तूफान का सामना करके उत्तर की ओर अग्रसर हुए और एक अरब से लौटे रहा भारतीय नाविक के सहायता से  भारत महासागर में प्रवेश एवं 20 मई 1498 को भारत की मालबार  उपस्थित कालीकट्  में पहुंचे।
तत्कालीन समय के कालीघाट के हिंदू राजा जामोरिन के शासन था भास्कोडिगामा राजा जामोरिन के पैर छूकर पुर्तगाल सम्राट की ओर से भारत में वाणिज्य का संपर्क स्थापन के लिए सम्राट को अनुरोध  किए और सम्राट जामोरिन संतुष्ट हुए एवं भास्कोडिगामा को भारत में व्यापार वाणिज्य करने के लिए अनुमति प्रदान किया।
वास्को डा गामा भारत में कुछ महीने अवस्थान करने के बाद 1499 में वह तो घर लौट गए और जाते वक्त उन्होंने भारत से प्रचलित धन-संपत्ति भारत की उत्कृष्ट मसाला अपने साथ संग्रह करके ले गए और पोर्तुगाल पहुंचने के बाद पोर्तुगाल के सम्राट एवं जनसाधारण ने उन्ह   सम्मान प्रदान किए।
दोबारा 1508 में वास्कोडिगामा 10 समुद्री जहाजों के साथ पुनर्वार भारत आए और कालीकट में पहुंचे और भारत से उन्होंने श्रीलंका सुमित्रा एवं आबादी देश भ्रमण करके उन देशों में वाणिज्यक  साम्राज्य प्रतिष्ठा कीएे और 1517 में चीन के कांस्टन में पहुंचे और विभिन्न देशों से धन संपदा एवं बहुमूल्य पदार्थों को  पुर्तगाल ले जाते थे
तीसरी बार भास्कोडिगामा 1524 में कालीकट  पहुंचे यह उनकी अंतिम यात्रा था वह कालिकोट में शारीरिक के कारण कालीकोट में ही उनकी मृत्यु हो गई और उनकी शारीरि को पुर्तगाल ले जा गया अंतिम संस्कार के लिए
भास्कोडिगामा के द्वारा भारत को जवाब होता आविष्कार विश्व इतिहास में एक निर्णायक मोड़ था जो कि केवल युरेप इतिहास को नहीं बल्कि भारतीय इतिहास को भी यह प्रभावित किया है यूरोप के उपनिवेशयों  इंग्लैंड फ्रांस स्पेन देश की आदि उपनिवेश भारत के अलग-अलग स्थानों में वाणिज्य व्यापार करने के लिए आने लगे जॉब जो की भारत इतिहास को बदल कर रख दिया
यूरोपियन उपनिवेश के जरिए वाणिज्य के नाम पर भारत का शासन करने लगे।